
भारत के दिल लखनऊ में स्थित, चिकनकारी कढ़ाई की कला एक जटिल सुंदरता का प्रतीक रही है। यह शिल्प कला सदियों पुरानी परंपरा और विशाल श्रृंखला के लिए जानी जाती है। लखनवी चिकनकारी अपनी अनोखी प्रकार की हाथ की कढ़ाई में से एक है जिसमें विभिन्न प्रकार की सिलाई शामिल होती हैं। चिकनकारी के 32 टांके हैं लेकिन इन्हें ज्यादातर 7 श्रेणियों में भाग किया गया है।
1. टेपची सिलाई ( सीधी सिलाई )

टेपची सिलाई को "सीधी सिलाई" के रूप में जाना जाता है और यह चिकनकारी कढ़ाई में सबसे सरल सिलाई है। यह ज्यादातर दिखने वाली सिलाई कपड़े के दाहिनी ओर समानांतर पंक्तियों में की जाती हैं। इसका इस्तेमाल पत्तियों और फूलों को भरने के लिए किया जाता है। चाहे चिकन कुर्ता हो या फिर दुपट्टा , टेपची सिलाई का इस्तेमाल कारीगरों द्वारा बहुत आकर्षक रूप से किया जाता है।
2. जाली कढ़ाई
ऐसा माना जाता है कि मुग़ल बादशाह जहाँगीर की रानी नूरजहाँ को फ़ारसी वास्तुकला, विशेष रूप से जाली के काम की सुंदरता में विशेष रुचि थी । जाली कढ़ाई एक ऐसी तकनीक है जो कुछ हद तक थ्रेडवर्क के समान है। यह सिलाई खुली जाली या जाल जैसी दिखती है। इस सिलाई में धागे को कपड़े के माध्यम से कभी नहीं खींचा जाता है, जिससे कपड़े का पिछला हिस्सा सामने की तरह ही बेदाग दिखता है।
3. बखिया सिलाई
बखिया सिलाई या “शैडो वर्क” लखनऊ चिकनकारी की सबसे लोकप्रिय सिलाई में से एक है। बखिया सिलाई दो प्रकार से बनती है, उलटी बखिया (पीछे की ओर से) और सीधी बखिया (सामने की ओर से)। उलटी बखिया कपड़े पर आड़े- तिरछे धागों से किया जाता है, जो की शैडो वर्क का उल्टा है। सीधी बखिया में, भराई गलत तरफ की जाती है जिसमे डिजाइन को साफ-सुथरा लुक देने के लिए कपड़े के दाईं ओर एक चलती सिलाई से बांधा जाता है।
4. ज़ंजीरा सिलाई
ज़ंजीरा एक बहुत ही छोटी, नाजुक हस्तकला है। इस कढ़ाई में एक धागे को दाहिनी ओर रखते हुए सिलाई का काम किया जाता है। यह मुख्य रूप से पत्ती या फूलो के सिलाई को आउटलाइन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो की कपड़े को एक बहुत सुन्दर रूप देता है।
5. घासपत्ती
अगर आप चिकनकारी में ज़रा सा भी रूचि रखते है तो आपको सूट से लेकर ट्रेंडी प्लाज़ो, ज्यादातर कपड़ो में घासपत्ती का डिज़ाइन ज़रूर दिख जायेगा । इस सिलाई में, वी-आकार की रेखा द्वारा बनाई गई घास की पत्तियों को दाईं ओर से एक क्रमिक श्रृंखला में बनाई जाती है। यह कभी - कभी पंखुड़ियों और पत्तियों को एक आकृति में भरने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
6. चना पत्ती
चना पत्ती और घासपत्ती कुछ हद तक समान है लेकिन इसकी आकृति छोटी होती है। इस प्रक्रिया में सिलाई को पत्तेदार रूप देने के लिए छोटे खींचे गए टाँके बनाए जाते हैं, जो मटर के पौधे की छोटी पत्ती जैसा दिखता है।
7. कील कंगन
कील कंगन सिलाई चिकनकारी कढ़ाई का एक प्रमुख हिस्सा है। यह सिलाई एक नाजुक तकनीक है जहां “फिश स्केल्स” के समान टांके सावधानीपूर्वक बनाए जाते हैं। इस सिलाई पर हर किसी का ध्यान आसानी से नहीं जाता है लेकिन यह चिकनकारी में बहुत महत्व रखता है। ये छोटे पैटर्न कपड़ो में आकर्षण का स्पर्श जोड़ता है।